हम सब ये बात तो जानते ही है क्रिकेट एक सबसे मुश्किल खेलों में से एक है और इस खेल में अगर किसी को डटे रहना है तो फिटनेस सबसे जरूरी है. आज आप सभी को एक ऐसे होनहार और बहादुर खेलाड़ी के बारे में बताने जा रहे जिसकी कहानी सुन कर आप इनके जज्बे को सलाम करने से नहीं रुकेंगे.
वेस्ट इंडीज का यह स्टार खिलाड़ी जिसने कार दुर्घटना के बाद भी अपनी जगह टीम में हासिल की…..और क्यूँ कीरोन पोलार्ड को भगवान मानते हैं! Click To Tweet

वेस्ट इंडीज टीम के विकेट कीपर-बल्लेबाल के तौर पर खेलने वाले निकोलस पूरण कि यह कहानी है. बात January 2015 कि है जब 19 साल के इस युवा खिलाड़ी को ‘नागिको सुपर-50 के लिए सेलेक्ट कर लिया गया था और निकोलस उसी टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए वहां पहुचें थे. मगर निकोलस की किस्मत में कुछ और ही लिखा था. टूर्नामेंट से ठीक पहले निकोलस का एक्सीडेंट हो जाता है. इस कार दुर्घटना से उनकी बाईं पैर पर काफी चोट लग जाती है. इसके बाद निकोलस को सुपर-50 टूर्नामेंट से निकल दिया गया क्यूंकि दुर्घटना के बाद फिटनेस पर भी फर्क आ गया था.
निकोलस पूरण ने अपना पहला एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय (ODI)) क्रिकेट इंग्लैंड के खिलाफ 20 Feb’ 2019 को खेला और अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय सतक भी जड़ा श्रीलंका के खिलाफ.
अब आप सोच रहे होंगे की जब निकोलस कार दुर्घटना के बाद भी कैसे अंतर्राष्ट्रीय मैच खेली. तो आप सभी को बता दे कि निकोलस की दमदार सेंचुरी श्रीलंका के खिलाफ उतनी रोचक और सराहनिए नहीं है बल्कि उनकी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के किस्से और जूनून है. दुर्घटना के बाद निकोलस को टीम से निकल दिया गया था. यह उनकी कठोर परिश्रम का ही परिणाम था कि निकोलस ना की अपनी चोट से उभर कर बाहर आये पर उन्होंने अपनी मेहनत से अपने आप को फिर से क्रिकेट खेले के लिए तैयार भी किया.
निकोलस की दमदार सेंचुरी श्रीलंका के खिलाफ उतनी रोचक और सराहनिए नहीं है बल्कि उनकी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के किस्से और जूनून है… पूरी कहानी जाने के लिए पढ़िए! Click To Tweetबाकि दिनों की तरह ही बालमैन में राष्ट्रीय क्रिकेट केंद्र में प्रकटिस सत्र के बाद, निकोलस, अपने घर वापस जा रहे थे.“मैं नार्मल मैच सत्र के बाद, ड्घराइव कर वापस आ रहा था,” एक ESPNcricinfo को इंटरव्यू में बताते हुए याद करते हैं. “मैं घर के करीब था, और एक कार दूसरी कार को ओवरटेक कर रही थी, इसलिए मैंने अपनी गाड़ी को साइड में करने की कोसिस कि. मैंने एक रेत के ढेर को मारा और फिर मैं सड़क पर आ गया, और फिर दूसरी तरफ से आ रही एक अन्य वाहन ने मुझे टक्कर मार दी,” उन्होंने आगे कहा.


“मुझे उठाने की कोसिस की जा रही थी पर मुझे याद नहीं आ रहा था कि आखिर क्या हुआ था मेरे साथ. मैं हैरान था. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा हुआ है. मुझे एम्बुलेंस में ले जाया गया, मैं अपने पैर नहीं हिला सकता था” पूरन ने कहा. उनके दाहिने पैर में फ्रैक्चर हो गया था और बाएँ पैर में भी चोट आई थी. मै अपना पैर सीधा नहीं कर पा रहा था. “सबसे पहले, मुझे वास्तव में नहीं पता चला कि क्या हुआ था. मुझे यकीन नहीं था. लोग मुझसे कहते रहे, ‘अपने पैर की उंगलियों को हिलाएं, अपने पैर की उंगलियों को हिलाएं!” मुझे पता था कि मैं अपने घुटने को नहीं हिला सकता, इसलिए मुझे ये महसूस हो गया था कि कुछ निश्चित रूप से गलत हुआ है.” निकोलस ने कहा.
और फिर कीरोन पोलार्ड ने एक अभिभावक देवदूत की तरह सामने आए, मुझे प्रेरित किया, और तीन वर्षों की कठोर प्रयास के बाद में, मैं वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान की कप्तानी में व्हाइट-बॉल सेट में एक महत्वपूर्ण खेलाड़ी के रूप में सामिल था. डॉक्टर भी भविष्य में खेलने के बारे में अनिश्चित थे. पोलार्ड मेरे लिए एक बड़े भाई की तरह है, एक पिता-आकृति. वह तब से मेरे जीवन में है जब मैं दुर्घटना के बाद क्रिकेट में लौटा था, उन्होंने मुझे मौका दिया. मैं इसके लिए शुक्रगुजार हूं,”
आखिर किस खिलाड़ी ने और क्यूँ कहा कि पोलार्ड मेरे लिए एक बड़े भाई की तरह है, एक पिता-आकृति. Click To Tweetपोलार्ड के बारे में बताते हुए निकोलस ने कहा कि उनकी ऑफ-फील्ड दोस्ती खेल के बिच में नज़र आती है जब वे बल्लेबाजी कर रहे होते हैं. “हम एक दूसरे के साथ, एक ही क्लब के साथ, एक ही फ्रैंचाइज़ी के साथ खेलते हैं. इसलिए हमें विकेट और खेल की स्थिति के बारे में अच्छी समझ थी और हमने अपने कौशल को अंजाम दिया।”


तो ये थी निकोलस पूरण की बहादुरी और मेहनत की कहानी जिससे उन्होंने अपनी किस्मत के भरोसे नही बैठे पर अपनी किस्मत खुद से बनाई. आप भी अपने अपने जीवन में इससे प्रेरणा ले कर मेहनत करते रहिये, आप सफल जरूर होंगे.
…महज 19 साल के वेस्ट इंडीज खिलाड़ी निकोलस पूरण की बहादुरी और मेहनत की कहानी जिसमे उन्होंने अपनी किस्मत के भरोसे नही बैठे पर अपनी किस्मत खुद से बनाई. Click To TweetAuthor: Tarun, The Rising India Team
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